Ratan Tata Biography in Hindi

  

    Ratan Tata Biography in Hindi



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जिंदगी में उतार-चढ़ाव का रहना बहुत जरूरी है क्योंकि ईसीजी में भी सीधी लाइन का मतलब डेथ होता  है , ऐसा कहना है एक महान भारतीय उद्योजक पद्मा भूषण, पद्म विभूषण श्री रतन टाटा जी का


जिन्होंने अपने देश ओर देश के लोगो के हीत के लिऐ नीति मूल्यों को जिजान से संभालते हुए टाटा ग्रुप को बडा किया , आज के इस आर्टिकल में हम रतन टाटा जी के जीवन को करीब से जानने की कोशिश करेगे |


रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1927 में मुंबई जो आज का मुंबई है उसमें एक पारसी फ़ैमिली में हुआ ,उनके पिता का नाम नवल टाटा था और मां का नाम था सोनू टाटा था |


प्रारंभिक जीवन

रतन टाटा ने अपनी शरुआती पढ़ाई केतेड्रल एंड जोन केनन स्कूल, मुंबई और बिशप कोटन स्कूल , शिमला से करी थी |

1984 में जब रतन टाटा 10 साल के थे , तब उनके माता-पिता का डाइवोर्स हो गया , जिसके कारण रतन टाटा को उसकी  ग्रैंड मदर ने समभाला |

आर्किटेक्ट बनने की मंशा से वह अमेरिका गए और वहां जाकर कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया | रतन टाटा अपनी पढ़ाई अपने दम पर करना चाहते थे इसलिए जब तक उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई की तब तक वह रेस्टोरेंट में बर्तन साफ  करते थे और कई तरह के छोटे-मोटे काम करते थे।

1959 में  रतन टाटा को बैचलर इन आर्किटेक्ट की डिग्री प्राप्त हुई।


कैरियर

1961 से रतन टाटा ने टाटा ग्रुप ओफ के टाटा स्टील की शॉप फ्लोर से काम करने की शुरुआत की। टाटा के परंपरा के अनुसार 1970 तक टाटा की अलग-अलग कंपनी में काम करते रहे। 1970 को उनको मैनेजमेंट में प्रमोट किया गया | 

1971 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप की टीवी और रेडियो बनाने वाली और घाटे में चलने वाली NELCO कंपनी की जिम्मेदारी सौंपी गई, अगले 3 सालों में रतन टाटा ने इस कंपनी को खड़ा किया , और NELCO के मार्केट शेयर को 2% से लेकर 20% तक बढ़ा दिया , लेकिन देश में आई हुई इमरजेंसी और उसके बाद आर्थिक मंदी के कारण इस कंपनी को बंद करना पड़ा ,ये  रतन टाटा के जीवन का पहला बड़ा फेलियर  था।

1975 में रतन टाटा ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की | 

1977 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप की EXPRESSMILL की जिम्मेदारी सौंपी गई चौकी बंद होने के कगार पर थी  , रतन टाटा ने इस कंपनी को वापस खड़ी करने के लिए मैनेजमेंट में 50 लाख का इन्वेस्टमेंट करने का प्रस्ताव रखा लेकिन मैनेजमेंट ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया , जल्द ही यह कंपनी भी बंद हो गय , रतन टाटा के जीवन का यह दूसरा बड़ा फैलियर था, लेकिन इस चीज से रतन टाटा को बहुत कुछ सीखने को मिला ।

1981 में  रतन टाटा को टाटा इंडस्ट्री का अध्यक्ष बनाया गया , 1991 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया , जिसके बाद टाटा ग्रुप और तेजी से ग्रो करने लगा |

टाटा पहले से ही कमर्शियल और पैसेंजर व्हीकल बनाती थी , पर आम इंडियन का कार का सपना पूरा करने के लिए रतन टाटा ने 30 दिसंबर 1998 में पूरी तरह से इंडिया में बनी लग्जरी कार इंडिका लांच की , रतन टाटा का यह ड्रीम प्रोजेक्ट था और इस ड्रीम को पूरा करने के लिए उन्होंने बहुत मेहनत की थी लेकिन ऑटो एनालिसिस ने इस कार्य को पूरी तरह से क्रिटिसाइज कीया , जिसका नतीजा इस कार की सेल पर दिखा , इस कार्य को मार्केट से अच्छा रिस्पांस नहीं मिला और 1 साल के अंदर-अंदर यह कार फ्लॉप हो गई | 

जिसकी वजह से टाटा मोटर्स को बहुत नुकसान हुवा , उसके बाद रतन टाटा को अपने फैसले के लिए तमाम आलोचनाओं का सामना करना पड़ा |

इसके बाद रतन टाटा को कुछ करीबी लोग ने और इन्वेस्टर ने  रतन टाटा को सुझाव किया कि आप यह कंपनी बेच दो , कार बनाने का आईडिया रतन टाटा का ही था और उसमें नुकसान आने की वजह से उनको यह सुझाव सही लगा |

फिर रतन टाटा अपने साझेदारों के साथ FORD Company के पास अपना कार का व्यापार बेचने का प्रस्ताव लेकर गए , वहां पर उन लोगों की मीटिंग तकरीबन 3 घंटे तक चली , इस मीटिंग के दौरान FORD COMPANY के CEO ने कुछ ऐसा कहा जो रतन टाटा को अच्छा नहीं लगा , दरअसल उन्होंने यह कहा था अगर तुम्हें कार बनानी आती नहीं तो तुमने इतने सारे पैसे इसमें क्यों इन्वेस्ट कि हम यह कंपनी खरीदकर तुम पर एहसान कर रहे है | यह बात रतन टाटा को अच्छी नहीं लगी , वह रातों-रात वह छोड़कर अपने पार्टनर को के साथ वहां से निकल गए। पूरे रास्ते में उस मीटिंग के बारे में सोच कर अपमानित जैसा महसूस कर रहे थे , उन्हें अब इस अपमान का बदला अपनी सफलता से देना था , वापस जाकर रतन टाटा ने अपना पूरा ध्यान टाटा मोटर्स पर लगा दिया , उसके बाद उन्होंने सालों भर रिसर्च करी और बहुत मेहनत के बाद उन्होंने इंडिका का नया वर्जन लांच किया | 

कुछ ही सालों में शुरुआती झटकों के खाने के बाद टाटा मोटर्स का बिजनेस  बहुत तेजी से ग्रो करने लगा ,और बेहद मुनाफे का व्यवसाय साबित हुआ |

वहीं दूसरी तरफ FORD Company अपने जैगुआर और लैंड रोवर की वजह से घाटे में चल रही थी , और 2008 आते-आते डूबने के कगार पर पहुंच चुकी थी , उस समय रतन टाटा ने उसकी लग्जरी कार जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का प्रस्ताव रखा , जिसे बिल फोड़ने खुशी-खुशी स्वीकार किया ,  बिल फोड़ बिल्कुल उसी तरह अपने पार्टनर के साथ रतन टाटा को मिलने आए थे। जैसे रतन टाटा थोड़े साल पहले बिल फोड़ को मिलने गए थे।

रतन टाटा ने जैगवार लैंड रोवर ब्रांड 2.3 बिलीयन डॉलर्स में FORD COMPANY से खरीदा। इस बार भी बिल फोड़ने रतन टाटा को एक बात बोली, लेकिन इस बार यह बात थोड़ी पॉजिटिव थी , उसने कहा कि आप यह कंपनी खरीद कर हम पर बहुत बड़ा एहसान कर रहे हो | जबकि तभी रतन टाटा अपने अपमान का बदला ही समझ ले सकते थे, लेकिन उन्होंने अपने सक्सेस है, उसको जवाब दिया। यही बात एक सक्सेसफुल इंसान को एक महान इंसान बनती हैं | जैगुआर और लैंड रोवर की तरह रतन टाटा ने और कई सारी कंपनी को भी खरीदा | 

साल 2000 में रतन टाटा नेट टी बैग बनाने कंपनी Tetley को खरीदा , और कुछ ही साल में वह दुनिया की सबसे बड़ी  टी बैग बनाने वाली कंपनी बन गई। यह डील किसी भी इंडियन कंपनी द्वारा किसी फॉरेन कंपनी को टेकओवर करने वाली सबसे बड़ी डील बनी |

2004 में  रतन टाटा साउथ कोरियन कंपनी DAEWOO कमर्शियल व्हीकल  कंपनी को खरीदा , जिसके बाद उसका नाम TATA  DAEWOO कमर्शियल व्हीकल रखा गया। 

2007 में रतन टाटा ने लंदन की CORUS GROUP को खरीदा। यह कंपनी एक स्टील कंपनी थी , जिसका नाम बाद में टाटा स्टील रखा गया |

2008 में रतन टाटा ने जो मिडिल क्लास लोग स्कूटर में घूम रहे थे, उसका सपना पूरा करने के लिए एक लाख में टाटा नैनो कार बनाई। शुरू में इस कार को अच्छा रिस्पांस मिला, लेकिन समय जाने के बाद एक जीप कार ऐसी इमेज बनी और बाद में यह कार फ्लॉप हो गई। 

इंटरनेट की पावर को जानते हुए रतन टाटा ने कई सारी ऑनलाइन पोर्टल पर इन्वेस्ट किया | जैसे कि OLA कैब, Paytm , Xiaomi , Snapdeal , Zivame , CashKaro.com , Firstcry.com , Lenskart Cardekho.com , KYAZOONGA ,BlueStone , Urbon Ladder और कई सारी कंपनियों पर इन्वेस्ट किया। 

28 दिसंबर 2012 को 75 साल की उम्र में टाटा ग्रुप के चेयरमैन के पद से इस्तीफा दे दिया और CYRUS MISTERY को चेयरमैन बनाया। बाद में रतन टाटा ने CYRUS MISTERY को चेयरमैन पद से हटा दिया , जिसके कारण उन पर तानाशाह होने का आरोप लगा जोकी यह आरोप गलत था। 

रतन टाटा आजीवन कुंवारे रहे। रतन टाटा को जानवरों और किताबों से बहुत प्यार था और वह अपने फ्लैट में अपने दो कुत्तों के साथ रहते | 

रतन टाटा ने अपने 21 साल के करियर में टाटा ग्रुप के कंपनी का रेवेन्यू 40 गुना और कंपनी का प्रॉफिट 50 गुना बढ़ाया। आज  टाटा ग्रुप के अंदर तकरीबन 100 से ज्यादा कंपनी आती है और 150 से ज़्यादा देशों में यह फैली हुई है और  टाटा ग्रुप में कुल 700000 से भी ज़्यादा एम्पलॉइस काम करते हैं। 

रतन टाटा का देश के प्रति प्यार के कारण टाटा ग्रुप अपने प्रोफिट मेसे  66% देश को डोनेट करती हैं | 



सम्मान और पुरस्कार

रतन टाटा को कई सारे पुरस्कारों से नवाजा गया है | साल 2000 में पद्मभूषण और साल 2008 में पद्म विभूषण , जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार है, उससे रतन टाटा को नवाजा गया है | 

दोस्तों यह थी रतन टाटा की पूरी कहानी उम्मीद है। आपको यह पसंद आई होगी | 

मेरा नाम Hindi Insder है, मैं इसी तरह की अलग-अलग बायोग्राफी लिखता रहता हूं। अगर आपको "Ratan Tata Biography in Hindi"  पसंद आया हो तो इस आर्टिकल को अपने फ्रेंड के साथ शेयर कर दो।


इस आर्टिकल को पढ़ने के लिए धन्यवाद 🙏🏻😊|